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मिडविन हॉस्पिटल को लापरवाही व अवैध वसूली महंगी पड़ी, कोविड-19 की मान्यता रद्द |
18 दिसम्बर 2020 10:35
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ऊपर मेडविन हॉस्पिटल की बिल्डिंग और नीचे आदेश के दो पत्र
● व्यवसाई आनंद मिश्रा ने की थी शिकायत, हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सीएमओ ने की कार्रवाई
वाराणसी(जनवार्ता)। मेडविन हॉस्पिटल वाराणसी को कोविड मरीजों के इलाज में लापरवाही और अधिक शुल्क लेना भारी पड़ गया है। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सीएमओ ने उक्त अस्पताल की कोविड-19 श्रेणी की मान्यता रद्द कर दी है। मेडविन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही से अन्य निजी नर्सिंग होम संचालकों मे भी अफरा-तफरी मच गई है। वाराणसी में संभवत यह प्रथम बार किसी बड़े अस्पताल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। मिडवीन हॉस्पिटल, मैदागिन वाराणसी के विरुद्ध चिकित्सा में लापरवाही तथा मनमाने ढंग से कोरॉना महामारी के नाम पर अवैध वसूली के विरुद्ध उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाराणसी के व्यावसायी आनंद मिश्रा द्वारा एडवोकेट राजेश कुमार के जरिये दाखिल जनहित याचिका के मामले में कोर्ट द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी से कृत कारवाई पर जवाब तलब किया गया था।
उच्च न्यायालय के कड़े रुख को देखते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी ने मिडवीन हॉस्पिटल के खिलाफ सभी शिकायतों को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए कड़ी कार्रवाई की है जिसमें उक्त अस्पताल में कॉरोना उपचार की अनुमति रद्द करने की करवाई की गई है तथा कड़ी फटकार भी लगाई गई है। भविष्य में अवैध वसूली के विरुद्ध अलग से अभियोजन को सामना करने की चेतावनी भी दे डाली है। मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी द्वारा जारी पत्र दिनांकित १० एवं ११ दिसंबर २०२० को देखते हुए कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में हॉस्पिटल प्रशासन की कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं और जिला प्रशासन अपनी साख बचाने के लिए हॉस्पिटल पर शिकंजा कस सकता है।
★सत्य की जीत हुई,50 लाख का दावा करूँगा अस्पताल पर:आनंद मिश्रा
इस पूरी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले प्रमुख व्यवसाय आनंद मिश्र का कहना है कि अंततः सत्य की जीत हुई हाईकोर्ट का हस्तक्षेप ना होता तो पूरे मामले की लीपापोती का प्रयास किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि लड़ाई जनता में भी नहीं उक्त अस्पताल के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में 50 लाख रुपए के मुआवजे का दावा करूंगा और लापरवाह तथा ठग अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कराने की लड़ाई लडूंगा।
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