- »कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आयोजित की संगोष्ठी: अभिव्यक्ति दशा और दिशा
- »लंबे समय तक पार्टी में रहे लोगों को मिले प्रदेश नेतृत्व का पद
- »आयातित लोगों की अपेक्षा जमीनी लोगों को मिले टिकट और महत्वपूर्ण पद
- »चुनाव से काफी पहले घोषित हो प्रत्याशी
- वाराणसी(जनवार्ता)।रिफॉर्म यूपी कांग्रेस मुहिम के तहत आयोजित कांग्रेस जमीनी कार्यकर्ता संवाद संगोष्ठी:अभिव्यक्ति दशा और दिशाकी प्रथम कड़ी में विगत 30 सालों में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पतन क्यों हुआ और उसके पुनरुत्थान के लिए किस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए इस संबंध में काशी एवं आसपास के जमीनी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और प्रबुद्ध व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए I
प्रदेश व्यापी कार्यकर्ताओं से संवाद के द्वारा सकारात्मक सांगठनिक सुधार लाने की इस मुहिम को काशी हिंदू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता कमलाकर त्रिपाठी आयोजित कर रहे हैं I संगोष्ठी में सकारात्मक परिवर्तन के लिए मुख्यतः तीन बिंदुओं पर विशेष चर्चा की गई पहला शीर्ष नेतृत्व को सांगठनिक सुधार के लिए किस प्रकार की प्रक्रिया अपनानी चाहिए, प्रदेश नेतृत्व को संगठन सांगठनिक ढांचे के परिवर्तन में किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए और सत्तारूढ़ दल एवं अन्य विपक्षी दलों की रणनीति को देखते हुए किस प्रकार के कार्यक्रमों के द्वारा ब्लाक एवं बूथ के स्तर तक संगठन को पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए, तीसरा कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर किस प्रकार की भूल हमसे हुई हैं और पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं के स्तर पर क्या प्रयास होने चाहिए I
संगोष्ठी में तमाम वक्ताओं का यह मत था कि राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा प्रदेश की कमान उन लोगों को सौंपी जानी चाहिए जिनका एक लंबा समय जीवन कांग्रेस पार्टी के द्वारा जन सेवा में गुजरा हो I विगत के कई सालों से दूसरे दलों से आयातित आए हुए लोगों को प्रदेश की कमान सौंपने के कारण कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं मिली, अलबत्ता कई जगह अपमानित भी होना पड़ा I शीर्ष नेतृत्व को चुनाव के टिकटों को चुनाव से समय पहले ही प्रत्याशियों को निर्धारित कर देना चाहिए और उसमें भी जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह मिलनी चाहिए I सबसे महत्वपूर्ण बात जो शीर्ष नेतृत्व के लिए उभर कर आई वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं से नेतृत्व का सीधा संवाद का ना होना भी है I प्रदेश नेतृत्व के बारे में वक्ताओं का मानना था कि सामान्यत: प्रदेश नेतृत्व, हर जिले में चुनिंदा दो या चार लोगों के संपर्क में रहता है और वही दो-चार लोग पीसीसी सदस्य, एआईसीसी सदस्य, विधानसभा के प्रत्याशी और लोकसभा के प्रत्याशियों का चयन कर लेते हैं I ऐसे में पार्टी के लिए खून पसीना एक करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी होती है I इसके साथ-साथ सत्तारूढ़ दल की गलत नीतियों के खिलाफ भी हमें लगातार जिले एवं ब्लॉक लेवल तक आंदोलनों का रास्ता अख्तियार करना चाहिए I यह एक विडंबना है कि कांग्रेस के तथाकथित बड़े नामचीन नेता अपने घरों की एयर कंडीशन से बाहर नहीं निकलना चाहते, उदाहरण के तौर पर वाराणसी और प्रयाग में जिस प्रकार से मंदिरों का विध्वंस, सिर्फ आधुनिकता के नाम पर विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए किया जाना और उस पर कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की चुप्पी बड़ी ही दुखद थी I आज भी कांग्रेस के द्वारा स्थापित डीएलडब्ल्यू कारखाना निजीकरण के कगार पर खड़ा है और शीर्ष व प्रदेश नेतृत्व इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है I शिक्षा, बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसे अनेक मुद्दे हैं जिन पर प्रदेश व केंद्र की भाजपा सरकारों को घेरा जा सकता है लेकिन पूरे प्रदेश में इस प्रकार का कोई आंदोलन नहीं चलाया गया I नेतृत्व से यह अपेक्षा की जाती है कि वह इस तरह के मुद्दों पर स्वयं कार्यवाही करें और निचले स्तर पर संगठन के लोगों को इन मुद्दों पर जनता के साथ खड़े होने का निर्देश दें ।बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि वार्ता के इन बिंदुओं को सम्यक ढंग से शीर्ष नेतृत्व तक ले जाया जाए और हम सबका विश्वास है कि इस दिशा में सकारात्मक प्रयास करने पर कांग्रेस अपनी गौरवशाली परंपरा को पुनः प्राप्त करेगी I
मुहिम के प्रदेश समन्वयक कमलाकर त्रिपाठी ने आश्वासन दिया की इस संगोष्ठी के मुख्य बिंदुओं को वह शीर्ष नेतृत्व तक अवश्य पहुंचाएंगे और उन्हें विश्वास है कि राष्ट्रीय नेतृत्व इस बारे में सकारात्मक रुख अख्तियार करेगा I बैठक में मुख्य रूप से प्रोफेसर अनिल उपाध्याय, बृजेश राय नयन जी, पीयूष अवस्थी, जय प्रकाश शर्मा,अनुराग पांडे, आनंद चौबे,महिला कांग्रेस की किरण सिंह,वीना पांडे आदित्य दुबे,एडवोकेट जैकी शुक्ला,ओम शुक्ला, ताहिर अंसारी, राकेश मिश्रा, श्रद्धानंद जग्गू ,गोलू पटेल, विश्वनाथ कुंवर, हरीश मिश्रा, अजीजुद्दीन अंसारी, संजय तिवारी एडवोकेट, बृजेश राय, शर्मा नयन जी अन्नू भाई, साजिद , परवेज़ , कन्हिया लाल जायसवाल,सान्डिल्य, लल्लन, शांतनु त्रिपाठी, प्रमोद श्रीवास्तव, शार्दुल चौबे, नेहरू पांडे, मोनी पांडे, अनुराग पांडे छोटू, नटवर, वहीद उल्लाह खान सईदी जैसे सैकड़ों जमीनी कार्यकर्ताओं ने शिरकत की I कार्यक्रम के संचालक एवं समन्वयक कमलाकर त्रिपाठी थे I
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